दो साल पहले बेटे की मौत, बहू को बेटी बनाकर किया कन्यादान

उज्जैन । शहर के भैरवगढ़ क्षेत्र में रहने वाले भगवंत उपाध्याय की पुत्री मेघा की शादी जुलाई 2005 में इंदौर के मोती तबेला निवासी फ्लेक्स कारोबारी नितिन गोयल से हुई थी। शादी के बाद सब ठीक चल रहा था लेकिन जुलाई 2015 में नितिन की मौत हो गई। गोयल परिवार इस सदमे से खुद भी उबरा आैर बहू मेघा को भी उबारने की कोशिश की। ससुर दिनेश आैर सास उषा गोयल ने मेघा को दोबारा शादी के लिए प्रोत्साहित किया। दोनों परिवारों की रजामंदी के बाद मेघा भी पुनर्विवाह के लिए तैयार हो गई। गुरुवार को गुमानदेव मंदिर में यूपी के शाहजहांबाद के ट्रांसपोर्ट कारोबारी सुनील गुप्ता के साथ 32 साल की मेघा का पुनर्विवाह हुआ। विवाह में खास बात यह रही कि सास उषा के साथ जेठानी निकिता सहित ससुराल पक्ष के भी कई लोग शामिल हुए। उषा आैर निकिता ने ही मेघा का कन्यादान किया। शुक्रवार को हरसिद्धि के पास एक गार्डन में आैपचारिक रस्मों में भी उषा व निकिता के साथ ससुराल पक्ष के लोग घराती बनकर कामकाज में ही जुटे रहे।
मेघा आैर नितिन का 10 साल का बेटा राम भी है। मेघा की जेठानी निकिता बताती हैं कि संजय ने एक भाई को खोया है लेकिन वह राम में ही अपने भाई को देखते हैं। यही कारण है कि मेघा की शादी के बाद भी राम को पूरा परिवार अपने पास ही रखना चाहता है। दोनों परिवारों की रजामंदी से हुए फैसले में राम अब दादा-दादी व ताऊ के पास इंदौर में ही रहेगा। इधर सुनील के भी दो बच्चे 15 साल का बेटा वैभव आैर 14 साल की बेटी विधि है। दोनों बच्चे भी अपनी मां के रूप में मेघा को पाकर बेहद खुश हैं। सुनील ने बताया नवंबर 2015 में बीमारी के कारण उनकी प|ी सीमा का निधन हो गया था।

हमने बेटा खोया लेकिन बहू के सामने है पूरा जीवन
52 साल की उषा ने बताया उनके दो बेटे संजय आैर नितिन हैं। आकस्मिक घटना ने असमय ही बेटे नितिन को हमसे हमेशा के लिए दूर कर दिया लेकिन मेघा की उम्र अभी काफी कम है आैर उसके सामने पूरा जीवन पड़ा है। पहले मेघा नहीं मानी लेकिन जब पूरे परिवार ने उसे सहयोग करते हुए समझाइश दी तो वह दोबारा शादी करने के लिए राजी हुई। गोयल आैर उपाध्याय परिवार के दोस्त सुनील व मेघा को जोड़ने में मध्यस्थ बने। सास उषा के अनुसार उनकी कोई बेटी नहीं है, इसलिए वह बहुओं को ही बेटी मानती हैं। मेघा को भी बेटी माना है इसलिए खुद ही उसका कन्यादान किया। इधर ससुराल पक्ष के इस कार्य की बात छेड़ते ही मेघा भावुक हो जाती है। मेघा ने बताया कि मम्मी (सास उषा) ने कभी हमें अपनी वास्तविक मां की कमी महसूस नहीं होने दी। पूरा परिवार हर पल मेरे साथ खड़ा रहा। हर लड़की को ऐसा ही ससुराल मिले, वहां वह बहू नहीं बल्कि बेटी बनकर रहे।

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